Sadhana Shahi

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लेखनी कहानी -23-Mar-2024

दिनांक- 23/ 03/2024 दिवस- शनिवार विषय- फाल्गुन अमावस्या और सोना धोबिन की कहानी

हिंदी महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अर्थात पन्द्रहवें दिन अमावस्या पड़ता है। इस प्रकार पूरे वर्ष में 12 अमावस्या पड़ता है। इसमें सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवती अमावस्या वर्ष में लगभग एक या दो बार पड़ता है।। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु की कामना के लिए इस व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।शास्त्रों में इसे अश्वत्थ (पीपल )प्रदक्षिणा व्रत भी कहा जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की तिल,दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन ,इत्यादि से पूजा कर पीपल के वृक्ष में 108 बार धागा लपेटते हैं, और परिक्रमा करती हैं।कुछ स्थान पर धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे श्रद्धा और भक्ति के साथ विधि-विधान से तुलसी को चढ़ाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन सोमवती अमावस्या का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य सुख- समृद्धि- दीर्घायु, आरोग्यता प्राप्त करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देवता हैं ऐसे में अमावस्या के दिन गंगा स्नान, देवी- देवताओं का पूजन ,दान- पुण्य, पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितृ देवता तृप्त होते हैं तथा उन्हें शांति प्राप्त होती है। जिससे परिवार में भी सुख- समृद्धि आती है।

अमावस्या से जुड़ी एक कथा


ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या के दिन व्रत करके विधि- विधान से पूजा करने के पश्चात इस कथा को सुनने से व्यक्ति मनवांछित फल की प्राप्ति करता है।

सोना धोबिन की पौराणिक कथा🙏🙏

एक गांव में एक ब्राह्मण – ब्राह्मणी तथा उसकी पुत्री निवास करते थे ।समय के साथ-साथ पुत्री बड़ी होती गई और बड़े होने के साथ ही साथ उसमें सभी स्त्रियोचित गुण पुष्पित व पल्लवित होते गए। वह बालिका अत्यंत सुंदर, संस्कारवान ,गुणवान थी, किंतु ग़रीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। जिससे ब्राह्मण- ब्राह्मणी तथा कन्या तीनों सदा दुखित रहते थे।एक दिन गाँव में एक साधु महाराज पधारे,कन्या ने साधु महाराज का श्रद्धा भाव से सेवा किया उसकी सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर साधु महाराज ने उसे लंबी आयु का आशीर्वाद दिया किंतु जब उसका हाथ देखे तो उनके चेहरे पर एक अजीब सा भाव आ गया। तब ब्राह्मण ने साधु महाराज से पूछा क्या बात है महाराज आप कन्या का हाथ देखते ही उदास क्यों हो गए? तब साधु महाराज ने कहा- कन्या के हथेली में विवाह के योग रेखा ही नहीं है। यदि इसका विवाह हुआ तो यह वैधव्य का जीवन जीएगी।

ब्राह्मण दंपत्ति ने साधु महाराज से कन्या के विवाह का उपाय पूछा


साधु महाराज के मुख से यह बात सुनकर ब्राम्हण दंपत्ति व्याकुल हो गए ,उन्होंने साधु महाराज से पूछा – महाराज कन्या ऐसा कौन सा कार्य करें जिससे उसके हाथ में विवाह योग बन जाए ? तब साधु महाराज ने कुछ देर विचार करने के पश्चात अपनी अंतर्दृष्टि के ध्यान से बताया कि कुछ दूरी पर एक गांँव है जिसमें एक सोना नाम की धोबिन महिला निवास करती है उसके साथ उसके बेटे – बहू और उसका पति भी रहता है। वह धोबिन बहुत ही आचार- विचार और संस्कार संपन्न तथा पतिपरायणा महिला है। यदि यह कन्या उस धोबिन की सेवा करे और वह महिला इसे अपने मांँग का सिंदूर लगा दे तो बाद इस कन्या का विवाह योग हो सकता है तथा साथ ही इसका वैधव्य योग भी मिट सकता है ।साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं भी आती- जाती नहीं है कन्या को सोना के घर जाकर उसकी सेवा करनी होगी।

कन्या का धोबिन की सेवा करना


साधु के मुख से इस बात को सुनते ही ब्राह्मणी के चेहरे पर मानो ख़ुशी की एक लहर दौड़ गई उसने अपनी बेटी से कहा , बेटी तुम धोबिन की सेवा तन - मन से करो हो सकता है भगवान तुम्हारे हाथ में विवाह का योग बना ही दें।

अगले ही दिन कन्या प्रातःकाल उठकर सोना धोबिन के घर जाकर साफ़- सफ़ाई और अन्य सारे काम करके सूर्योदय होने से पहले वापस आ गई ऐसा वो रोज करने लगी।

सोना धोबिन और उसकी बहू का कौन सारे काम कर जाता है इस बारे में सोचना


एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछी- बहु तुम तो बड़ी जल्दी उठ करके सारे काम कर लेती हो कहीं कुछ पता भी नहीं चलता है ।तब बहू ने अपनी माता जी से कहा माता जी मैं तो देर से उठती हूंँ मैं तो यह सोच रही थी आप सुबह-सुबह उठकर के सारे काम कर देती हैं ।तब सास बहू दोनों सोचने लगी जब हम दोनों काम नहीं करते हैं तब ऐसा कौन है जो हमारे उठने के पहले ही आकर के चुपचाप सारे काम कर जाता है ,और बदले में कुछ लेता भी नहीं है ।तब सास-बहू दोनों निगरानी करने लगीं कि कौन आख़िर यह सब कुछ करके जाता है।

सोना धोबिन का कन्या के पैरों में गिर पड़ना


एक दिन जब ब्राह्मण कन्या सोना के के घर का सारा काम करके जाने लगी तब सोना धोबिन उसके पैरों में गिर पड़ी और उससे पूछने लगी ,हे देवी ! तुम कौन हो? और इस तरह छुपकर हमारे घर की चाकरी क्यों करती हो तब कन्या ने साधु के द्वारा कही गई सारी बात को सोना धोबिन को बताया ।

सोना धोबिन द्वारा ब्राह्मण की कन्या को सुहाग देना


सोना धोबिन एक पतिपरायणा नारी थी अतः उसमें एक तेज विद्यमान था। वह अपना सुहाग ब्राह्मण की कन्या को देने के लिए तैयार हो गई । धोबिन के पति कुछ अस्वस्थ थे उसने अपने बहु से कहा कि जब तक मैं लौट कर नहीं आऊंँ तब तक तुम इनकी देखभाल करना। ऐसा कह कर सोना धोबिन ब्राह्मण की कन्या के साथ चल दीऔर उसने अपनी मांँग का सिंदूर कन्या के मांँग में लगा दिया।

ब्राह्मण कन्या को सुहाग देना तथा धोबिन के पति का स्वर्गवास होना


सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांँग का सिंदूर कन्या की मांँग में लगाया उसके पति स्वर्ग सिधार गए चूंँकि सोना धोबिन एक पतिपरायणा नारी थी अतः उसे इस बात का आभास था। अतः घर से यह सोच कर निराजल ही चली थी कि यदि मुझे कहीं भी पीपल का पेड़ मिल जाएगा तो रास्ते में ही मैं पीपल के पेड़ की भंँवरी देकर उसकी परिक्रमा करके ही अन्न को ग्रहण करूंँगी।

सोना धोबिन द्वारा भंँवरी देकर पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना


जब सोना धोबिन ब्राह्मण कन्या को सुहाग दी तब ब्राह्मणी ने पूड़ी - पकवान भेंट स्वरूप दिए थे ।लेकिन सोना भंँवरी पकवान से न देकर 108 ईंट के टुकड़ों से दी और 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की तत्पश्चात उसने जल ग्रहण किया ऐसा करते ही धोबिन के मुर्दे पति के शरीर में प्राण वापस आ गया और वह जीवित हो गया।

अमावस्या के दिन भंँवरी देकर पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करने से सुख, सौभाग्य में वृद्धि होना


उसी समय से लोगों का ऐसा विश्वास हो गया कि जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भंँवरी देकर पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करेगा उसको सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी। ऐसा कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है अतः जो व्यक्ति प्रत्येक अमावस्या को पीपल के पेड़ की परिक्रमा कर , सोना धोबिन तथा गौरी गणेश की पूजा करता है ,उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

यह लोक प्रचलित है कि पहले अमावस्या को धान, पान ,हल्दी, सिंदूर और सुपारी का भंँवरी देना चाहिए तत्पश्चात सामर्थ्य अनुसार सुहाग की सामग्री, खाद्य सामग्री ,फल, मिठाई आदि से भंवरी देना चाहिए ।भंँवरी देते समय जो हम फल- मिठाई ,सुहाग का सामान इत्यादि चीजें चढ़ाते हैं उसे भंँवरी और परिक्रमा पूरी होने के पश्चात किसी सुपात्र ब्राह्मण, नंद या अपनी भांजी को दान स्वरूप दे देना चाहिए शायद यही कारण है कि आज भी उत्तर प्रदेश तथा बिहार के कुछ स्थानों पर लड़की की शादी में शादी के दिन धोबिन से सुहाग लेने का एक रस्म अदा किया जाता है।

साधना शाही, वाराणसी

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3 Comments

Mohammed urooj khan

01-Apr-2024 01:42 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

30-Mar-2024 09:41 AM

Awesome

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Varsha_Upadhyay

23-Mar-2024 10:55 PM

Nice

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